आनंद निकेतन के आँगन में जीवन सफल बनाएंगे। विश्व सरोवर में हम मिल ज्ञान के कमल खिलाएँगे। दम्भ, झूठ, भय की परछाई सर ऊपर ना आएगी। नफरत हिंसा की धरती पर प्यार के फूल खिलाएंगे । इन सिखरो सा हम को अब हरदम ऊँचा उठना है । गंगा की गतिमय धारा में आगे बढ़ते जाएँगे ॥ धन्य हुआ जीवन अपना हमने भारत में जन्म लिया ॥ वीर सुभाष, तिलक, बापू के पदचिन्हों पर जाएँगे । सिख रहे हम मिल कर अब जीवन जीने की बातें ॥ ज्ञान पिपासु बनकर हम सब आगे बढ़ते जाएँगे। आनंद निकेतन हमको अपने प्राणों से भी प्यारा है । सहज भाव में शिक्षा लेकर जीवन उच्च बनाएँगे।